पुरूषा का बलिदान: सभी वस्तुओं की उत्पत्ति

श्लोक 3 और 4 के पश्चात् पुरूषासूक्ता अपने घ्यान को पुरूषा के गुणों की ओर से पुरूषा के बलिदान के ऊपर केन्द्रित करता है। श्लोक

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श्लोक 3 एवं 4 – पुरूषा का देहधारण

पुरूषासूक्ता श्लोक 2 से आगे निम्न बातों के साथ जारी रहता है। (संस्कृति का भाषान्तरण और पुरूषा के ऊपर मेरे बहुत से विचार जोसफ़ पदनीज़ेरकारा

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श्लोक 2- पुरूषा अमरत्व का प्रभु है

हमने पुरूषासूक्ता के प्रथम श्लोक में देखा कि पुरूषा का विवरण अच्छी तरह से सर्व-ज्ञानी, सर्व-सामर्थी और सर्व-व्यापी के रूप में वर्णित किया गया था।

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