श्लोक 3 और 4 के पश्चात् पुरूषासूक्ता अपने घ्यान को पुरूषा के गुणों की ओर से पुरूषा के बलिदान के ऊपर केन्द्रित करता है। श्लोक
दिन: 2 मई 2016
श्लोक 3 एवं 4 – पुरूषा का देहधारण
पुरूषासूक्ता श्लोक 2 से आगे निम्न बातों के साथ जारी रहता है। (संस्कृति का भाषान्तरण और पुरूषा के ऊपर मेरे बहुत से विचार जोसफ़ पदनीज़ेरकारा
श्लोक 2- पुरूषा अमरत्व का प्रभु है
हमने पुरूषासूक्ता के प्रथम श्लोक में देखा कि पुरूषा का विवरण अच्छी तरह से सर्व-ज्ञानी, सर्व-सामर्थी और सर्व-व्यापी के रूप में वर्णित किया गया था।