राशि चक्र आकाश में नक्षत्रों का एक चक्र होता है। कैसे एक व्यक्ति एक चक्र की शुरुआत को चिह्नित करता है? परन्तु मिस्र में लक्सर के पास एस्ना का मंदिर, राशि चक्र के रैखिक चित्र को दर्शाता है। एस्ना राशि से पता चलता है कि कैसे पूर्वजों ने राशि चक्र की शुरुआत और अंत को चिह्नित किया। नीचे एस्ना राशि का चक्र दिया गया है, जो राशि चक्र के नक्षत्रों को निचले स्तर में दाएँ से बाएँ जाते ऊपरी स्तर पर जाते हुए बाएँ से दाएँ पीछे (पीछे मुड़ते हुए तीरों के साथ) की ओर जाते हुए दिखाता है।
एस्ना के मंदिर में रैखिक राशि चित्र। राशि चक्र के नक्षत्रों को लाल रंग से गोला लगाया हुआ है। नारसिंह (हरे रंग से गोला बनाया हुआ) राशियों के जुलूस का नेतृत्व करता है। कन्या राशि जुलूस को शुरू करती है और सिंह राशि सबसे अन्त में मिलती है।
नारसिंह नक्षत्रों के जुलूस की अगुवाई करता है। नारसिंह का अर्थ ‘एक साथ बांधने’ से है और इसमें एक स्त्री का सिर एक शेर के शरीर से जुड़ा हुआ है (जलूस में राशि चक्र के पहले और आखिरी को एक साथ जोड़ा हुआ है)। नारसिंह के ठीक बाद कन्या राशि आती है, जो कि राशियों के जलूस में पहला नक्षत्र मण्डल है। राशियों के नक्षत्र मण्डल के मानक क्रम में उसके बाद कन्या राशि आती है, ऊपर बाईं ओर, अंतिम नक्षत्र मण्डल सिंह राशि आती है। एस्ना राशि से पता चलता है कि राशि (कन्या) कहाँ से शुरू होती है और कहाँ (सिंह) पर समाप्त होती है।
नारसिंह की सारणी – सिंह के शरीर पर स्त्री का सिर, यह राशि चक्र में पहली और आखिरी राशि को दिखाता है
हम प्राचीन राशि की कहानी पढ़ते हैं जो कि कन्या राशि से शुरू होती है और सिंह पर आकर समाप्त होती है