संस्कृत से आए शब्द माया का अर्थ ‘वह जो नहीं है’ और इसलिए यह ‘भ्रम’ है। विभिन्न ऋषियों और शिक्षण पद्धतियों ने माया के भ्रम
श्रेणी: मदद के लिए हमारी जरूरत (our need)
दस आज्ञाएँ: कलियुग में कोरोना वायरस की जाँच की तरह
यह आम तौर पर स्वीकार किया जाता है कि हम कलियुग या काली के युग में रह रहे हैं। यह सतयुग, त्रेता युग और द्वापर
मोक्ष – कर्मों से स्वतंत्रता को प्राप्त करना
कर्म, गुरत्वाकर्षण की तरह ही, एक ऐसी व्यवस्था है जो कि आपके और मेरे ऊपर कार्यरत् है। कर्म का अर्थ बहुत सी बातें हो सकती
बलिदान की विश्वव्यापी आवश्यकता
ऋषि और मुनिगण युगों से जानते थे कि लोग छल अर्थात् माया और पाप में जीवन व्यतीत करेंगे। यह सभी धर्मों, युगों के लोगों और
यीशु के बलिदान से कैसे शुद्धता के वरदान को प्राप्त किया जा सकता है?
यीशु सभी लोगों के लिए स्वयं का बलिदान देने के लिए आया । यही सन्देश प्राचीन ऋग्वेद के भजनों में प्रतिछाया स्वरूप और साथ ही
दिवाली और प्रभु यीशु
पहली बार जब मैंने ‘बड़ी निकटता’ के साथ दिवाली का अनुभव उस समय किया जब मैं भारत में कार्यरत् था। मैं यहाँ पर एक महीने
कुम्भ मेला महोत्सव: पाप का बुरा समाचार और हमारी शुद्धता की आवश्यकता को दिखा रहा है
मानवीय इतिहास में जनसमूह का एक सबसे बड़ा रूप में इकट्ठा होना इस वर्ष 2013 में घटित हुआ– कुम्भ मेले का त्योहार 12 वर्षों में