हमने देखा कि कैसे अब्राहम को, बहुत पहले, जातियों की प्रतिज्ञा दी गई। यहूदी और अरब के लोग आज अब्राहम से ही निकल कर आए हैं, इस कारण हम जानते हैं कि प्रतिज्ञा सच्ची ठहरी और यह कि वह इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है।क्योंकि अब्राहम ने इस प्रतिज्ञा के ऊपर भरोसा किया इसलिए उसे धार्मिकता दी गई –उसने मोक्ष को प्राप्त कर लिया परन्तु किसी कठोर परिश्रम के द्वारा अपितु उसने बस केवल इसे किसी एक मुफ्त उपहार की तरह पा लिया था।
कुछ समय के पश्चात्, अब्राहम ने लम्बे समय से प्रतिक्षा किए जा रहे पुत्र इसहाक (जिसमें से यहूदी अपने पूर्वजों को निकल कर आया हुआ पाते हैं) को प्राप्त कर लिया। इसहाक एक नौजवान पुरूष बन गया। परन्तु तब परमेश्वर ने अब्राहम की नाटकीय तरीके से जाँच की। आप इसके पूरे वृतान्त को यहाँ पर पढ़ सकते हैं और तब इस रहस्यमयी जाँच के अर्थों के मुख्य तथ्यों को खोलने के लिए आगे बढ़ सकते हैं – जो हमारी इस बात में सहायता करता है कि कैसे हमारे लिए धार्मिकता को देने के लिए अदा किया जाएगा।
अब्राहम की जाँच
इस जाँच का आरम्भ परमेश्वर के द्वारा एक नाटकीय आदेश को दिए जाने के द्वारा होता है:
परमेश्वर ने कहा, “अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र – इसहाक को – जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा।” (उत्पत्ति 22:2)
अब्राहम, आदेश के आज्ञापालन में ‘अगले सबेरे तड़के’ उठा और ‘तीन दिन की यात्रा’ के पश्चात् वे उस पहाड़ पर पहुँच गए। तब
9जब वे उस स्थान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया था पहुँचे; तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। 10फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे। (उत्पत्ति 22:9-10)
अब्राहम आदेश की आज्ञापालन किए जाने के लिए तत्पर था। परन्तु तब कुछ उल्लेखनीय घटना घट गई:
11तब यहोवा परमेश्वर के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, “हे अब्राहम ! हे अब्राहम!”
उसने कहा, “देख, मैं यहाँ पर हूँ।”
12उसने कहा, “उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर; क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते को भी नहीं रख छोड़ा; इससे मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।”
13 तब अब्राहम ने आँखें उठाईं, और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगों से एक झाड़ी में फँसा हुआ है; अत: अब्राहम ने जा के उस मेढ़े को लिया, और अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया। (उत्पत्ति 22:11-13)
अन्तिम क्षणों में इसहाक मृत्यु से बच गया और अब्राहम ने एक नर मेढ़े को देखा और उसकी अपेक्षा उसे बलिदान किया। परमेश्वर ने एक मेम्ने का प्रबन्ध किया था और मेम्ने ने इसहाक का स्थान ले लिया।
भविष्य की ओर देखते हुए : बलिदान
अब्राहम तब उस स्थान का नाम रखता है। ध्यान दें कि वह क्या नाम रखता है।
अब्राहम ने उस स्थान का नाम ‘यहोवा परमेश्वर प्रबन्ध करेगा’। इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है कि “यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा।” (उत्पत्ति 22:14)
अब्राहम ने उसका नाम ‘यहोवा परमेश्वर प्रबन्ध करेगा’ कह कर रखा। यहाँ पर एक प्रश्न है। यह नाम भूत काल, वर्तमान काल या भविष्य काल किस में लिखा हुआ है? क्या यह स्पष्ट रूप से भविष्य काल में है। और आगे आने वाली टिप्पणी और भी अधिक स्पष्ट रूप से दुहराती है “…इसका उपाय किया जाएगा” यह भी भविष्य काल में लिखा हुआ है – इस तरह से यह भी भविष्य की ओर देख रहा है। परन्तु नाम रखने का यह कार्य इसहाक के स्थान पर मेम्ने (एक नर भेड़) के बलिदान के पश्चात् हुआ है। अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि जब अब्राहम, उस स्थान का नाम रख रहा था, तब वह उस झाड़ी में फँसे हुए और अपने पुत्र के स्थान पर बलिदान किए जाने वाले मेढ़े की ओर संकेत कर रहा था। परन्तु अब तक तो वह पहले ही बलिदान कर दिया गया और जला दिया जा चुका था। यदि अब्राहम मेढ़े के बारे में सोच रहा था – जो पहले से बलिदान कर दिया, मर चुका और जला दिया गया था –तब तो उसने उस स्थान का नाम ‘यहोवा परमेश्वर ने प्रबन्ध किया है’, करके रखा होता, अर्थात् भूत काल वाक्य में। और टिप्पणी ऐसी लिखी गई होती ‘और आज तक भी यह कहा जाता है कि “यहोवा परमेश्वर के पहाड़ पर उपाय किया गया था।’” परन्तु अब्राहम ने स्पष्ट रूप से इसे भविष्य काल में लिखा है और इसलिए वह यह नहीं सोच रहा था कि वह पहले से मर चुका है और उसने मेढ़े का बलिदान कर दिया है। वह कुछ भिन्न तरह की बात से आत्म जागृत हुआ था। उसके पास भविष्य के बारे में कुछ आत्मबोध थे। परन्तु वे क्या थे?
जहाँ पर बलिदान की घटना घटित हुई
उस पहाड़ को स्मरण रखें जहाँ पर अब्राहम को इस बलिदान को चढ़ाने के लिए भेजा गया था:
तब परमेश्वर ने कहा, “अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा…” (वचन 2)
इस तरह से यह ‘मोरिय्याह’ में घटित हुआ। यह कहाँ पर है? यद्यपि यह अब्राहम के दिनों में (2000 ईसा पूर्व) जंगली क्षेत्र था, परन्तु एक हजार वर्षों (1000 ईसा पूर्व) के पश्चात् राजा दाऊद ने यहाँ पर यरूशलेम नगर की स्थापना की थी और उसके पुत्र सुलैमान ने यहाँ पर पहले मन्दिर का निर्माण किया था। हम इसे बाद में पुराने नियम की ऐतिहासिक पुस्तकों में पढ़ते हैं:
तब सुलैमान ने यरूशलेम में मोरिय्याह नामक पहाड़ पर उसी स्थान में यहोवा परमेश्वर का भवन बनाना आरम्भ किया, जिसे उसके पिता दाऊद ने दर्शन पाकर तैयार किया था (2 इतिहास 3:1)
दूसरे शब्दों में, अब्राहम के दिनों में (4000 ईसा पूर्व) ‘मोरिय्याह का पहाड़’ जंगल में एक सुनसान पहाड़ी था परन्तु 1000 वर्षों के पश्चात् दाऊद और सुलैमान के द्वारा यह इस्राएलियों के लिए एक केन्द्रीय नगर बन गया जहाँ पर उन्होंने सृष्टिकर्ता का मन्दिर का निर्माण किया। और आज के दिन तक भी इसे यहूदी लोगों का एक पवित्र स्थान और इस्राएल की राजधानी माना जाता है।
यीशु – येसू सत्संग – और अब्राहम का बलिदान
अब यीशु की पदवियों के बारे में सोचें। यीशु से सम्बन्धित बहुत सी पदवियाँ हैं। कदाचित् सबसे अधिक जानी-पहचानी पदवी ‘मसीह’ की है।परन्तु उसे एक अन्य पदवी भी दी गई है जो कि अति महत्वपूर्ण है। हम इसे यूहन्ना के सुसमाचार में देखते हैं जहाँ पर यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला उसके विषय में ऐसा कहता है:
दूसरे दिन उसने (अर्थात् यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला) यीशु (अर्थात् येसू सत्संगी) को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत के पाप उठा ले जाता है। यह वही है जिसके विषय में मैंने कहा था, ‘एक पुरूष मेरे पीछे आता है जो मुझ से श्रेष्ठ है, क्योंकि वह मुझ से पहले था।’” (यूहन्ना 1:29-30)
दूसरे शब्दों में, यीशु को ‘परमेश्वर का मेम्ना’ के रूप में जाना जाता था। अब यीशु के जीवन के अन्त के ऊपर ध्यान दें। उसे कहाँ पर पकड़ा और क्रूसित किया गया? यह यरूशलेम में हुआ था (जिसे हमने =‘मोरिय्याह पहाड़’ के रूप में ऐसे देखा है)। इसे बिल्कुल ही स्पष्ट शब्दों में उसके पकड़े जाने के समय पर कहा गया है:
और [पिलातुस] यह जानकर कि वह हेरोदेस की रियासत का है, उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्योंकि उन दिनों में वह भी यरूशलेम में था। (लूका 23:7)
यीशु का पकड़ा जाना, उसकी जाँच और क्रूसीकरण यरूशलेम (=मोरिय्याह पहाड़) में घटित हुए। नीचे दी गई समयरेखा उन घटनाओं को दर्शाती है जो मोरिय्याह पहाड़ के ऊपर घटित हुई।

आइए अब पुन: अब्राहम के बारे में सोचें। क्यों उसने उस स्थान का नाम भविष्य काल के वाक्य ‘यहोवा परमेश्वर उपाय करेगा’ से रखा? कैसे वह यह जान सकता है कि भविष्य में किसी ऐसी बात का ‘प्रबन्ध’ किया जाएगा जो अत्यधिक निकटता से वैसे ही घटित होगी जैसा कि उसने मोरिय्याह पहाड़ पर किया था? इसके बारे में सोचें– उसकी परीक्षा में इसहाक (उसका पुत्र) अन्तिम क्षणों में मृत्यु से बचा लिया गया था क्योंकि एक मेम्ना उसके स्थान पर बलिदान हो गया था। दो हजार वर्षों पश्चात्, यीशु को ‘परमेश्वर का मेम्ना’ कह कर पुकारा गया है और उसे उसी स्थान के ऊपर बलिदान किया गया! कैसे अब्राहम यह जान पाया कि यही ‘वह स्थान’ होगा? वह केवल इसे इस तरह से ही जान सकता था और कुछ घटित होने वाला था, की भविष्यद्वाणी कर सकता था जो कि उल्लेखनीय हो जब उसे स्वयं सृष्टिकर्ता परमेश्वर, प्रजापति की ओर से आत्मजागृति प्राप्त न हुई हो।
ईश्वरीय मन प्रकाशित हुआ है
यह ऐसा है मानो कि वहाँ पर ऐसा मन था जिसने इन दोनों घटनाओं को अपने स्थान के कारण आपस में सम्बद्ध कर दिया है यद्यपि यह दोनों इतिहास के 2000 वर्षों में एक दूसरे से पृथक हैं।

उपरोक्त चित्र यह दर्शाता है कि कैसे पहले की घटना (अब्राहम का बलिदान) बाद की घटना (यीशु के बलिदान) की ओर संकेत करती है और इसकी रचना हमें इस बाद वाली घटना को स्मरण दिलाने के लिए की गई थी। यह प्रमाणित करता है कि यह मन (सृष्टिकर्ता परमेश्वर ) हम पर स्वयं को हजारों वर्षों में घटित हुई पृथक घटनाओं को संयोजित करते हुए प्रकाशित कर रहा है। यह एक चिन्ह है जिसे परमेश्वर ने अब्राहम के द्वारा बोला।
आपके और मेरे लिए शुभ सन्देश
यह वृतान्त हमारे लिए और अधिक व्यक्तिगत् कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है। सार में यह कहना, कि परमेश्वर ने अब्राहम के लिए यह घोषणा की:
“…और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी : क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है” (उत्पत्ति 22:18)
क्या आप इस ‘पृथ्वी की सभी जातियों’ में एक से सम्बन्धित नहीं हैं – यह बात कोई अर्थ नहीं रखती कि आप चाहे किसी भी भाषा, धर्म, शिक्षा, उम्र, लिंग या सम्पन्नता से क्यों न सम्बद्ध हों? अब यह एक ऐसी प्रतिज्ञा है जिसे विशेष रूप से आपको दिया गया है! और ध्यान दें यह प्रतिज्ञा क्या है – यह स्वयं परमेश्वर की ओर से एक ‘आशीष’ है! यह केवल यहुदियों के लिए नहीं है, अपितु इस संसार के सभी लोगों के लिए है।
यह ‘आशीष’ कैसे दी गई है? शब्द ‘वंश’ यहाँ पर एकवचन है। यह कई सन्तानों या लोगों में ‘वंशों’ के रूप में नहीं दिया गया है, परन्तु यह एकवचन में दिया गया है जैसे यह ‘वह’ में होता है। यह कई लोगों या लोगों के समूह के द्वारा नहीं है जैसा कि ‘वे’ में होता है। यह इतिहास के आरम्भ में दी हुई प्रतिज्ञा के अक्षरश:समान्तर है, जब ‘वह’ इब्रानी वेदों में वर्णित सर्प की ‘ऐड़ी को डसेगा’ और साथ ही पुरूषासूक्ता में दिए हुए (‘वह’ अर्थात्) पुरूषा के बलिदान की प्रतिज्ञा के सामान्तर भी है। इस चिन्ह के साथ वही स्थान– अर्थात् मोरिय्याह पहाड़ (=यरूशलेम) – की भविषद्वाणी इन प्राचीन प्रतिज्ञाओं का और अधिक विस्तार देते हुए की गई है। अब्राहम के बलिदान के नाटक का वर्णन हमें यह समझने में सहायता करता है कि कैसे इस आशीष को दिया गया है, और कैसे धार्मिकता की कीमत को अदा किया जाएगा।
परमेश्वर की आशीष को कैसे प्राप्त किया जाता है?
ठीक वैसे ही जैसे एक मेढ़े ने इसहाक को मृत्यु से उसके स्थान पर बलिदान होते हुए बचा लिया, ठीक वैसे ही परमेश्वर का मेम्ना, अपनी बलिदानात्मक मृत्यु के द्वारा, हमें मृत्यु की सामर्थ्य और इसके जुर्माने से बचाता है। बाइबल यह घोषणा करती है
…पाप की मजदूरी तो मृत्यु है (रोमियों 6:23)
यह एक और तरीका है जिसके द्वारा यह कहा जाता है कि जिन पापों को हम करते हैं वह ऐसे कर्मों को उत्पन्न करते हैं जिनका परिणाम मृत्यु है। परन्तु मृत्यु को मेम्ने ने इसहाक के स्थान पर बलिदान होते हुए अदा कर दिया। अब्राहम और इसहाक को तो बस स्वीकार करना था। वह इसके योग्य नहीं था और न ही हो सकता था। परन्तु वह इसे एक उपहार के रूप में स्वीकार कर सकता था। यही वास्तव में वह बात है कि उसने कैसे मोक्ष को प्राप्तकिया।
यह हमें उस पद्धति को दिखाती है जिसका हमें अनुसरण करना चाहिए। यीशु ‘परमेश्वर का मेम्ना था जो जगत के पापों को उठा ले जाता है’। इसमें आपके स्वयं के पाप भी सम्मिलित हैं। इस तरह से यीशु, जो मेम्ना है, आपके पापों को ‘उठा ले जाने’ का प्रस्ताव देता है क्योंकि उसने कीमत को अदा कर दिया है। आप इसके योग्य नहीं हैं परन्तु आप इसे उपहार के रूप में पा सकते हैं। यीशु से प्रार्थना कीजिए,जो पुरूषा है, और उससे कहें कि वह आपके पापों को अपने ऊपर ले ले। उसका बलिदान उसके इस सामर्थ्य को प्रदान करता है। हम इसे इसलिए जानते हैं क्योंकि यह संयोग से मोरिय्याह पहाड़ के ऊपर अब्राहम के द्वारा बलिदान किए हुए उल्लेखनीय वृतान्त की प्रतिछाया था, ठीक उसी स्थान की जहाँ 2000 वर्षों पश्चात् इसका ‘प्रबन्ध यीशु के द्वारा’ किया गया था।