भ्रष्ट (भाग 2)… आपने निशाने से चूक जाना
मेरे पिछले लेख में मैंने यह देखा था कि कैसे वेद पुस्तक (बाइबल) हमें यह विवरण देती है कि हम परमेश्वर के वास्तविक स्वरूप जिसमें… और पढ़ें »भ्रष्ट (भाग 2)… आपने निशाने से चूक जाना
मेरे पिछले लेख में मैंने यह देखा था कि कैसे वेद पुस्तक (बाइबल) हमें यह विवरण देती है कि हम परमेश्वर के वास्तविक स्वरूप जिसमें… और पढ़ें »भ्रष्ट (भाग 2)… आपने निशाने से चूक जाना
मेरे पिछले लेख में मैंने बाइबल आधारित उस नींव को देखा था कि – कैसे हमें यह देखना चाहिए कि हम परमेश्वर के स्वरूप में… और पढ़ें »परन्तु पृथ्वी-के-मध्य में रहने वाले – ओर्कस् की तरह भ्रष्ट
हमने पहले ही देख लिया है कि कैसे पुरूषासूक्ता का आरम्भ समय के आरम्भ होने से पहले होता है और यह कैसे परमेश्वर की मनसा… और पढ़ें »परमेश्वर के स्वरूप में
कर्म, गुरत्वाकर्षण की तरह ही, एक ऐसी व्यवस्था है जो कि आपके और मेरे ऊपर कार्यरत् है। कर्म का अर्थ बहुत सी बातें हो सकती… और पढ़ें »मोक्ष – कर्मों से स्वतंत्रता को प्राप्त करना
ऋषि और मुनिगण युगों से जानते थे कि लोग छल अर्थात् माया और पाप में जीवन व्यतीत करेंगे। यह सभी धर्मों, युगों के लोगों और… और पढ़ें »बलिदान की विश्वव्यापी आवश्यकता